गुरुदेव मेरी नैय्या, उस पार लगा देना,
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना-2
हम दीन दुःखी निर्धन, इक नाम रहे हर पल, ।
यह सोच दर्श देगे, प्रभू आज नहीं तो कल
जो बाग लगाया है, फूलों से सजा देना
अब तक तो.....
तुम शान्ती सुधाकर हो, तुम ज्ञान दिवाकर हो,
मम हँस चुगे मोती, तुम मानसरोवर हो।
दो बूंद सुधारस की, हमको भी पिला देना,
अब तक तो.....
रोकोन्गे भला कब तक, मुझे दर्शन करने से,
चरणों में लिपट जाऊँ, वृक्षों की लता जैसे।
अब द्वार खड़ा तेरे, मुझे राह दिखा देना
अब तक तो.....
मझधार पड़ी नैय्या, डगमग डोले भव में,
आओ श्री मति नन्दन अब द्वार खड़ा कब से,
करता हूँ मैं विनती, मुझे अपना बना लेना,
अब तक तो.....