प्रतिभागान चरणों में जगह माँगी थी, हमें अपना बना लिया।
हैं जनम-जनम के प्यासे, जिनआगम पिला दिया-2॥
शुक्रिया आपका
इक भाव उठा था मन में, छू लँ इस विशाल नभ को।
इससे भी ऊपर जाना, ये कहा आपने हमको॥
अपने को ना समझा था, अपने से मिला दिया।
है जनम-जनम.....॥
भक्ति के पंख लगाके, जी करता है उड़ जाऊँ।
गुरु चरण धूल बन कर के, चरणों में ही रह जाऊँ॥
पलकों से उठाकर मोती, आँखों का बना लिया।
है जनम-जनम.....॥
करुणा भरी दृष्टि से, हमें बनाया सम्यकदृष्टि।
जनमों के पुण्य फले हैं गुरु कृपा है इतनी बरसी॥
सत् कर्मों के सरगम में गुण गाना सिखा दिया।
है जनम-जनम.....॥
जब से तुमको पाया है, खुशियाँ आई जीवन में।
सब कुछ लगता है सुहाना, न तपन रही अब मन में ॥
थे बूंद कभी पानी की हमें मोती बना दिया।
है जनम-जनम.....॥