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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अपने कर्तव्य में छिद्र नहीं छोड़ने वाला देवता होता है : जस्टिस लाहोटी


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    वैदिक शास्त्रों में देवताओं की चार विशेषताएं बताई गई हैं।

    • एक देवताओं का पैर धरती से ऊपर होता है।
    • दूसरा, देवता पलक नहीं झपकते।
    • इसके अलावा देवताओं को पसीना नहीं आता |
    • और उनकी परछाई नहीं बनती।
    • उनकी देह पारदर्शी होती है।

     

    देवताओं की इन चारों विशेषताओं पर गौर किया जाए तो इनमें गहरे संदेश मिलते हैं। देवताओं का धरती को नहीं छूना पार्थिव आकर्षणों से भौतिक प्रलोभनों से अस्पर्शिता के साथ रहना है। कीच में कमल की तरह विरत और उपराम।

     

    दूसरी विशेषता सतत जागरूकता की है। यानी इंटरनल विजिलेंस या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी। जीवों के दुख और दुर्दशा की चिंता में संत सज्जन पुरुष रात्रि को जागृत रहते हैं।

     

    तीसरी विशेषता नहाने के बिना भी बदबू नहीं आती, पसीना नहीं आने का अर्थ उनके आचरण में छिद्र नहीं होने से है। छिद्रान्वेषियों की विशेष कोशिशों के बावजूद संत जन अपने व्यवहार, आहार विहार में छिद्र नहीं रखने की कोशिश करते हैं। अपने कर्तव्य में छिद्र न छोड़ने वाला देवता होता है। उनका मन निष्कुलिष होता है। वह मैल का न सृजन करता है और न ही उत्सर्जन। चौथी विशेषता है पारदर्शिता। देवता पुरुष में कुटिलता नहीं होती व ऋजु होता है।

     

    आर्य शब्द का शाब्दिक अर्थ है - जो ऋजु है। 180 डिग्री की सरल रेखा वाला है। पारदर्शी पुरुष के आरपार देखा जा सकता है, उसके भीतर सत्य का प्रकाश है। सौंदर्य का गुर है- कम भ्रम और अधिक आत्मा। गुरुदेव आचार्यं विद्यासागरजी की भक्ति लिफ्ट करा दे की इच्छा को पूरा करती है लेकिन बंगला, मोटर, कार दिलादे के लिए नहीं। बल्कि इससे भी ऊपर ओर बेहतर के लिए, विशुद्धि के लिए प्रेरित करती है।

     

    पुरुष की जिंदगी में दो ही दिन महत्वपूर्ण हैं, एक वो दिन जब वह पैदा हुआ और दूसरा वह जब वह जान ले, खोज कर ले कि वह क्यों पैदा हुआ। उस दिन वह द्विज बना, जब हमारे अस्तित्व का अर्थ हमें पता लगता है तब हमारा जीवन, जीवन हुआ। आचार्यश्री के जीवन के दो महत्वपूर्ण दिवस में भी महा महत्वपूर्ण पचासवां दीक्षा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कुछ भी करने या कहने के लिए चयनित होने से अभिभूत हूं, धन्य हूं, प्रसन्न हूँ। सब कुछ मिल गया का अहसास है कि सद्रु कृपा हमारे पास है।

    (लेखक पूर्व मुख्य कार्यकारी न्यायाधश मप्र हैं)

    जस्टिस कृष्ण कुमार लाहोटी

    Publishd in Daink Bhashker, 11-10-2017, all Addition (aprox) 52 Lacks Copy


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